// जय श्री कृष्णा //
कृष्णा को कई नामों से जाना जाता है – लेकिन कुछ नाम से जयादा पुकारे जाते है I भारत में तो बच्चों को इन नामों से पुकारा जाता है ,जैसे -कन्हिया ,माखन चोर ,श्याम ,केशव ,गोपाल I
कृष्णा को पुराणों में एक हज़ार नाम से पुकारा गया है. जो की उनके लीलाओ पर रखे गए है I कृष्णा की लीला इतनी है की उनका बखान पूरा तो नहीं किया जा सकता कुछ घटनाओ लीलाओ को यहाँ पर आप जां सकते है I
कृष्णा लीला के पीछे कोई ना कोई सन्देश जरुर होता है अगर कोई मनुष्य उस सन्देश को अपने जीवन में धारण कर ले तो उसके जीवन में कभी कोई दुःख नहीं आयेगा I जैसे : सिर्फ एक ही उपदेश कर्म कर फल की इच्छा मत कर I
भागवत कथा
कृष्णा लीलाओ का वर्णन जो भागवत कथा में किया गया है उसका उद्देश्य केवल भक्ति भाव को बढ़ाना नहीं है बल्कि कुछ सन्देश देना है
श्री कृष्णा के कई रूप थे I वे माँ के सामने रूठने की लीला करते वही अर्जुन को गीता का ज्ञान देने वाले I कृष्णा के मन में सबका सम्मान है वो मानते थे की सभी को अपने अनुसार जीने का अधिकार है I दुनिया को ज्ञान देने वाले कृष्णा को युग पुरष कहा जाता है हिन्दू धरम के अनुसार हर युग युग में कृष्णा की शिक्षा हमारे लिए शिक्षा का सत्रोत है
जन्मअष्टमी क्यों मनाते है : इस दिन कृष्णा का जन्म हुआ था और कंस को मरने वाला इस संसार में आया था क्योकि आज इस संसार में हर कोई कंस बना हुआ आज इस कलयुग में भी एक कृष्णा की जरुरत है जो की अवतार लेंगे I
कृष्णा लीला:
पूतना वध :
शिशु काल में ही कृष्णा ने कई राक्षसों का वध कियाI जब कंस को पता लगा की कृष्णा ही मेरी मृत्यु करेगा तब उसने कृष्णा के मरने के लिए कई राक्षसों को भेजा और फिर अंत में पूतना नाम की राक्षस को भेजा जो की अपने दूध पिला कर कृष्णा के मारना छाती थी परन्तु कृष्णा को उसका रूप समझ में आ गया और ने उसका वध कर दिया I उस दिन फाल्गुन पूर्णिमा का दिन थे उस दिन के ख़ुशी में ही होली मनाई जाती है I
मुख में पूरी पर्थ्वी दिखाना:
कृष्णा को माखन भुत ही प्रिय है वो गोकुल में माखन चोरी करके खाया करते थे थाबी तो उन्हें माखन चोर कहते है I एक बार कृष्णा ने माखन चोरी करके खाया और मैया यशोदा को पता चल गया और कृष्णा से पुचा की माखन चोरी करके के क्यों खाया तब कृष्णा कहने लगे की मैया मै नहीं माखन खायो और मैया यशिदा ने तब अपना मुख खोलने को कहा तब कन्हिया ने मुख को खोला और पूरी ब्रह्माण्ड कृष्णा के मुख में यशोदा मैया को दिखा और वो चिंतित हो उठी तभी बाबा नन्द ने बताया की हम कृष्णा कोई आम बालक नहीं है I
गोकुल वृन्दावन की लीला :
एक बार जब सभी गोवाल खेल रहे थे तो खेलते खेलते `गेंद यमुना में चली गई और कृष्णा ने यमुना में छलांग लगा दी और काफी देर तक बहार नहीं आया तो यशोदा माता भी चिंता में आ गई और जोर जोर से रोने लगी ,क्योकि उस दरिया में दस सर वाला कालिया नाग रहता था जो की कई बच्चो को खा चूका था I पर अन्दर यमुना में कृष्णा ने उस दस सर वाले कालिया नाग को हरा दिया और उसके सर पर खड़ा हो करके बांसुरी बजाते हुए बहार आया और उस नाग को वहां से जाने के लिए कहा I इस लीला से हमें यह शिक्षा मिलती है की अहंकार को हमेशा हार का सामना करना पढता है I
गोवर्धन पर्वत लीला :
इसकी एक कथा प्रचलित है की भगवन इन्द्र को अभिमान हो गया था इस अभिमान को चूर करने के लिए यह लीला रची I भगवन इन्द्र ने गोकुल धाम में इंतनी वर्षा की कि वहा पर इतना पानी हो गया की सभी बहने लगे और क्रिशन ने अपनी छोटी ऊँगली पर पर्वत को उठा लिया और सरे गाँव वाले ,पशु ,गाय आदि ले कर सभी उस पर्वत के नीचे आ गए और अपनी छोटी ऊँगली पर पर्वत को उठाये बांसुरी बजाते रहे और इन्द्र भगवन लगातार सात दिन तक वर्षा करते रहे और तब उन्हें अहसास हुआ की वो एक आम मनुष्य नहीं है I वो विष्णु के अवतार हैI
इस लीला से यह सन्देश मिलता है की अभिमान में सारा अपना मान सम्मान ख़तम हो जाता है
मित्र प्रेम : कृष्णा का बचपन का मित्र सुदामा था वो बहुत गरीब था वह एक बार अपने मित्र कृष्णा से मिलने के लिए गया और द्वारपालों ने उसे अन्दर नहीं जाने दिया काफी देर के बाद कृष्णा को इसके बारे में जब पता चला तो वह नागे पाव भागे चले गए और सुदामा को गले से लगा दिया बाद में उनके पैर धोये और उनके पैरे का पानी भी पिया ,सुदामा के पास एक पोटली थी जिसमे सुदामा की पत्नी ने कृष्णा के लिए सोगात दी थी परन्तु सुदामा देने से डर रहा था पर जब सुदामा सो गया तब कृष्णा ने उस पोटली में से कच्चे चावल लिए और खा लिए पहली मुठी में सुदामा का घर बन गया दूसरी मुठी में उसके बच्चे धन धन्ये से भर पुर हो गए I
महाभारत में अर्जुन को ज्ञान:
जब महाभारत का युध हो रहा था तब अर्जुन अपने सामने अपने भाइयो को देख डगमगा गया था तब श्री कृष्णा ने ही कहा कि कर्म कर फल की इच्छा मत करI तू ही निमित मात्र बनेगा I उठा शस्त्र I
कृष्णा को कई नामों से जाना जाता है – लेकिन कुछ नाम से जयादा पुकारे जाते है I भारत में तो बच्चों को इन नामों से पुकारा जाता है ,जैसे -कन्हिया ,माखन चोर ,श्याम ,केशव ,गोपाल I
कृष्णा को पुराणों में एक हज़ार नाम से पुकारा गया है. जो की उनके लीलाओ पर रखे गए है I कृष्णा की लीला इतनी है की उनका बखान पूरा तो नहीं किया जा सकता कुछ घटनाओ लीलाओ को यहाँ पर आप जां सकते है I
कृष्णा लीला के पीछे कोई ना कोई सन्देश जरुर होता है अगर कोई मनुष्य उस सन्देश को अपने जीवन में धारण कर ले तो उसके जीवन में कभी कोई दुःख नहीं आयेगा I जैसे : सिर्फ एक ही उपदेश कर्म कर फल की इच्छा मत कर I
भागवत कथा
कृष्णा लीलाओ का वर्णन जो भागवत कथा में किया गया है उसका उद्देश्य केवल भक्ति भाव को बढ़ाना नहीं है बल्कि कुछ सन्देश देना है
श्री कृष्णा के कई रूप थे I वे माँ के सामने रूठने की लीला करते वही अर्जुन को गीता का ज्ञान देने वाले I कृष्णा के मन में सबका सम्मान है वो मानते थे की सभी को अपने अनुसार जीने का अधिकार है I दुनिया को ज्ञान देने वाले कृष्णा को युग पुरष कहा जाता है हिन्दू धरम के अनुसार हर युग युग में कृष्णा की शिक्षा हमारे लिए शिक्षा का सत्रोत है
जन्मअष्टमी क्यों मनाते है : इस दिन कृष्णा का जन्म हुआ था और कंस को मरने वाला इस संसार में आया था क्योकि आज इस संसार में हर कोई कंस बना हुआ आज इस कलयुग में भी एक कृष्णा की जरुरत है जो की अवतार लेंगे I
कृष्णा लीला:
पूतना वध :
शिशु काल में ही कृष्णा ने कई राक्षसों का वध कियाI जब कंस को पता लगा की कृष्णा ही मेरी मृत्यु करेगा तब उसने कृष्णा के मरने के लिए कई राक्षसों को भेजा और फिर अंत में पूतना नाम की राक्षस को भेजा जो की अपने दूध पिला कर कृष्णा के मारना छाती थी परन्तु कृष्णा को उसका रूप समझ में आ गया और ने उसका वध कर दिया I उस दिन फाल्गुन पूर्णिमा का दिन थे उस दिन के ख़ुशी में ही होली मनाई जाती है I मुख में पूरी पर्थ्वी दिखाना:
कृष्णा को माखन भुत ही प्रिय है वो गोकुल में माखन चोरी करके खाया करते थे थाबी तो उन्हें माखन चोर कहते है I एक बार कृष्णा ने माखन चोरी करके खाया और मैया यशोदा को पता चल गया और कृष्णा से पुचा की माखन चोरी करके के क्यों खाया तब कृष्णा कहने लगे की मैया मै नहीं माखन खायो और मैया यशिदा ने तब अपना मुख खोलने को कहा तब कन्हिया ने मुख को खोला और पूरी ब्रह्माण्ड कृष्णा के मुख में यशोदा मैया को दिखा और वो चिंतित हो उठी तभी बाबा नन्द ने बताया की हम कृष्णा कोई आम बालक नहीं है I
गोकुल वृन्दावन की लीला :
एक बार जब सभी गोवाल खेल रहे थे तो खेलते खेलते `गेंद यमुना में चली गई और कृष्णा ने यमुना में छलांग लगा दी और काफी देर तक बहार नहीं आया तो यशोदा माता भी चिंता में आ गई और जोर जोर से रोने लगी ,क्योकि उस दरिया में दस सर वाला कालिया नाग रहता था जो की कई बच्चो को खा चूका था I पर अन्दर यमुना में कृष्णा ने उस दस सर वाले कालिया नाग को हरा दिया और उसके सर पर खड़ा हो करके बांसुरी बजाते हुए बहार आया और उस नाग को वहां से जाने के लिए कहा I इस लीला से हमें यह शिक्षा मिलती है की अहंकार को हमेशा हार का सामना करना पढता है I
गोवर्धन पर्वत लीला :
इसकी एक कथा प्रचलित है की भगवन इन्द्र को अभिमान हो गया था इस अभिमान को चूर करने के लिए यह लीला रची I भगवन इन्द्र ने गोकुल धाम में इंतनी वर्षा की कि वहा पर इतना पानी हो गया की सभी बहने लगे और क्रिशन ने अपनी छोटी ऊँगली पर पर्वत को उठा लिया और सरे गाँव वाले ,पशु ,गाय आदि ले कर सभी उस पर्वत के नीचे आ गए और अपनी छोटी ऊँगली पर पर्वत को उठाये बांसुरी बजाते रहे और इन्द्र भगवन लगातार सात दिन तक वर्षा करते रहे और तब उन्हें अहसास हुआ की वो एक आम मनुष्य नहीं है I वो विष्णु के अवतार हैI
इस लीला से यह सन्देश मिलता है की अभिमान में सारा अपना मान सम्मान ख़तम हो जाता है
मित्र प्रेम : कृष्णा का बचपन का मित्र सुदामा था वो बहुत गरीब था वह एक बार अपने मित्र कृष्णा से मिलने के लिए गया और द्वारपालों ने उसे अन्दर नहीं जाने दिया काफी देर के बाद कृष्णा को इसके बारे में जब पता चला तो वह नागे पाव भागे चले गए और सुदामा को गले से लगा दिया बाद में उनके पैर धोये और उनके पैरे का पानी भी पिया ,सुदामा के पास एक पोटली थी जिसमे सुदामा की पत्नी ने कृष्णा के लिए सोगात दी थी परन्तु सुदामा देने से डर रहा था पर जब सुदामा सो गया तब कृष्णा ने उस पोटली में से कच्चे चावल लिए और खा लिए पहली मुठी में सुदामा का घर बन गया दूसरी मुठी में उसके बच्चे धन धन्ये से भर पुर हो गए I
महाभारत में अर्जुन को ज्ञान:
जब महाभारत का युध हो रहा था तब अर्जुन अपने सामने अपने भाइयो को देख डगमगा गया था तब श्री कृष्णा ने ही कहा कि कर्म कर फल की इच्छा मत करI तू ही निमित मात्र बनेगा I उठा शस्त्र I


