Friday, 8 April 2016

शेरावाली माँ की आरती

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                   शेरावाली माँ की आरती 


नमो नमो दुर्गे सुख करनी , नमो नमो अम्बे दुःख हरनी l
निराकार है ज्योति तुम्हारी ,तिहु लोक फैली उजियारी l


शशि ललाट मुख महा विशाला ,नेत्र लाल भुकुटि विकराला l
रूप मातु को अधिक सुहावे ,दरश करत जन अति सुख पावै l


                                           तुम संसार शक्ति मय किना,पालन हेतु अन्न धन दिना l
                                          अन्नपूरना हुई जग पाला ,तुम ही आदि सुंदरी बाला l

प्रलयकाल सब नाशन हारी ,तुम गौरी शिव शंकर प्यारी l
शिव योगी तुम्हारे गुण गावे ,ब्रह्मा विष्णु तुम्हें नित ध्यावे

रूप  सरस्वती को तुम धारा ,दे सुबुधि ऋषि मुनिन उबारा l
धरा रूप नरसिंह को अम्बा,परगट भई फाड़कर खम्बा l

रक्षा करि प्रह्लाद बचायो ,हिरणाकुश को स्वर्ग पठायो l
लक्ष्मी रूप धरो जग माहीं ,श्री नारायण अंग समाहीं l

क्षीरसिन्धु में करत विलासा ,दया सिन्धु दीजे मन आसा l
हिंगलाज में तुम्हीं भवानी ,महिमा अमित न जात बखानी l

मातंगी धूमावती माता ,भुवनेश्वर बागला सुख दाता l
श्री भैरव तारा जग तारिणी ,क्षिन्न भाल भव दुख निवारिणी l

केहरि वाहन सोह भवानी ,लांगुर वीर चलत अगवानी l
कर में खप्पर खड्ग विराजे , जाको देख काल डर भाजे l

सोहे अस्त्र और त्रिशूला ,जाते उठत शत्रु हिय शुला l
नाग कोटि में तुम्हीं विराजत ,तिहु लोक में डंका बाजत  l

शुम्भ निशुम्भ दानव तुम मारे ,रक्त बीज शंखन संहारे l
महिषासुर नृप अति अभिमानी ,जेहि अधिभार मही अकुलानी l

रूप कराल कलि को धारा ,सेना सहित तुम तीही संहारा l
पारी गाढ़ संतन पर जब-जब ,भई सहाय मात तुम तब-तब l


अमरपुरी ओरों सब लोका ,तव महिमा सब रहे अशोका l
बाला में है ज्योति तुम्हारी ,तुम्हें सदा पूजें नर नारी l


प्रेम भक्ति से जो जस गावें ,दुख दारिद्र निकट नहीं आवें l
ध्यावें जो नर लाई , जन्म मरण ताको छुटी जाई l

जागी सुर मुनि कहत पुकारी, योग नहीं बिन शक्ति तुम्हारी l
शंकर अचारज  तप कीनो, काम अरु क्रोध सब लीनो l

निशदिन ध्यान धरो शंकर को ,कहू काल नहीं सुमरो तुमको l
शक्ति रूप को मरम न पायो ,शक्ति गई तब मन पछतायो l

शरणागत हुई कीर्ति बखानी ,जय जय जय जगदम्बे भवानी l
भई प्रसन्न आदि जगदम्बा .देई शक्ति नहीं कीन विलम्बा l

मोको मातु कष्ट अति घेरो ,तुम बिन कोन हरे दुख मेरो l
आशा तृष्णा निपट सतावे ,रिपु मूरख मोहि अति डरपावे l

शत्रु नाश कीजये महारानी ,सुमिरों इकचित तुन्हें भवानी l
करो कृपा हे मातु दयाला ,ऋषि सिद्धि दे करहु निहाला l

जब लागी जियों दया फल पाऊँ ,तुम्हरो जस में सदा सुनाऊ l
दुर्गा चालीसा जो गावे ,सब सुख भोग परम पद पावें l

देविदास शरण निज जानी ,करहु कृपा जगदम्बे भवानी l

दोहा:

शरणागत रक्षा करे ,भक्त रहे निशंक l
में आया तेरी शरण में, मातु लीजये अंक l